हम वर्तमान समय में ग्रेगोरियन कलेन्डर का उपयोग करते हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, बोल्शेविकों ने 7 नवंबर, 1917 को सत्ता संभाली और दुनिया में पहली बार मजदूरों का राज स्थापित किया।उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर का उपयोग किया जाता था। उसके अनुसार आज से 108 साल पहले 25 अक्टूबर 1917 को रूसी क्रांति हुई। इसलिए उसे अक्टूबर क्रांति के नाम से जाना जाता है। उसे बोल्शेविक क्रांति भी कहा जाता है।

अक्टूबर क्रांति द्वारा दुनिया में पहली बार लुटेरों की राजसत्ता उखाड़ फेंकी गई। शासन मजदूर किसान और आम मेहनतकाशों के घर पहुंचा था। जार के राज के भूखे, नंगे देश को मजदूरों के राज ने भुखमरी, बेरोजगारी, शोषण और लूट से मुक्त कर दिया।
अक्टूबर क्रांति के बाद मजदूर राज ने बडे-बडे और आश्चर्यजनक काम किए। मजदूरों के राज में सबसे पहले सभी प्राकृतिक संसाधनों जैसे कि जंगलों, खदानों, जल मार्गो आदि का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया, दूसरा हर परिवार को (‘जमीन किसकी, जोते उसकी’ नारे को लागू करते हुए) उतनी जमीन दी गई जितनी वह जोत सकता था, तीसरा मजदूर राज की रक्षा करने के लिए एक विशाल लाल सैन का गठन किया, चौथा, पूर्व की सरकारों द्वारा की गई समस्त गुप्त और जन विरोधी संधियो को कूड़ेदान में फेंक दिया। पांचवा, सभी तरह के विदेशी कर्ज को जब्त कर लिये। छठा, सोवियत रूस को विश्व की महाशक्ति बना दिया। सातवा, दुनिया के सभी गुलाम देशो और विश्व की संघर्षरत मेहनतकश जनता को वास्तविक आजादी के लिए सभी तरह का समर्थन दिया। आंठवा, साम्राज्यवादी गुलामी से मुक्त होने के लिए तथा इन देशों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव मदद की। रूसी क्रांति या अक्टूबर क्रांति के अनुभव से सीख कर चीन के मजदूर व किसानों ने 1949 में क्रांति कर देश का कायाकल्प कर दिया। इसी क्रम में अन्य उत्पीड़ित राष्ट्रों में भी क्रांतियां सफल हुई। अन्य देशों जैसे जर्मनी में महान क्रांति फैलायी और राजाओं का सिंहासन खींच लिया। मजदूर राज ने सैंकडों-हजारों स्कूल, पुस्तकालय, मजदूरों के लिए नाट्यशाला, अखबार और डाकघर खोले और कारखाने, दुकान और खदाने आदि मजदूरों को सौंप दी।
हमारे देश में मजदूर, किसान, युवा, विद्यार्थी और कर्मचारी पीढ़ियों से अपने हकों के लिए लड़ रहे हैं। हम अपने बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार और मजदूरी बढ़ाने की लड़ाई जारी रखे हुए हैं। संघर्ष और हड़तालों से हमने यह सीखा है कि इस व्यवस्था में हमारी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में अक्टूबर क्रांति मजदूरों के सत्ता में काबिज होने और कदम ब कदम ऊंची से ऊंची मंजिल की तरफ बढ़ने की घटना हमें भी रास्ता दिखाती है.
आज संपूर्ण दुनिया के मेहनतकश यह समझ गए हैं कि कोई भी मजदूर अकेला-अकेला अपनी समस्याओं से मुक्ति नहीं पा सकता है। उसे एकताबद्ध होकर ही अपने मुक्ति के लिए संघर्ष तेज करना पड़ेगा। मजदूर वर्ग यह भी समझ गया है कि अक्टूबर क्रांति के रास्ते पर चलकर ही विश्व के मजदूरों की मुक्ति हो सकती है। इसलिए पूरे विश्व के साथ ही भारत के समस्त मेहनतकाश अक्टूबर क्रांति दिवस मनाते हैं, अंतरराष्ट्रीय भाईचारा मजबूत करते हैं तथा अपने संघर्ष पथ का लेखा-जोखा करते हैं।
अक्टूबर क्रांति का रास्ता- जिन्दाबाद
दुनिया के मजदूरों एक हो।
By : D S PALIWAL – Rajastan
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