एशिया कम्यून (समुदाय)  की आवश्यकता

एशिया कम्यून एशियाई नागरिक समाज का नागरिक आंदोलन है।इसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, मालदीव, मलेशिया, वियतनाम, कंबोडिया आदि जैसे देश शामिल हैं।

इन देशों में कई समस्याएं है जैसे अज्ञानता ,कुपोषण, स्वास्थ्य समस्याएं , पिछड़ेपन की बुराइयों के साथ बड़े पैमाने पर गरीबी एवं अज्ञानता , तकनीकी पिछड़ापन, भारत और पाकिस्तान के प्रमुख राज्यों के बीच क्षेत्रीय विवाद, आंतरिक ध्रुवीकरण जो लगभग प्रत्येक राज्य में शांति और अखंडता के लिए खतरा हैं और साथ ही निर्वाचकों के बीच में आपसी समझ की कमी जैसी समस्याएं इन देशों के विकास में बाधक तत्व है ।

सभी क्षेत्रों में से, दक्षिण एशिया भौगोलिक दृष्टि से, ऐतिहासिक रूप से और इस प्रकार भू-राजनीतिक रूप से अच्छी तरह से परिभाषित है। इसके आंतरिक विभाजन, इसके राज्यों के बीच गहरे अविश्वास और इसके बड़े राज्यों के भीतर आंतरिक असंगति ने इस क्षेत्र को आर्थिक प्रगति, राजनीतिक प्रभाव और अपने लाखों लोगों की सांस्कृतिक समृद्धि की क्षमता को अनुभव  करने से रोक दिया है।

कुछ सामान्य कारक जैसे राजनीतिक अस्थिरता, गरीबी, सांप्रदायिक अधिकार, जाति के आधार पर भेदभाव, बेरोजगारी और लोगों की निम्न आर्थिक स्थिति मुख्य कारक हैं  । दुनिया की एक तिहाई श्रम शक्ति दक्षिण एशियाई देशों में है और साथ ही एक तिहाई बेरोजगारी भी इन देशों में ही है। महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता भी एक बड़ा मुद्दा है।

अत: एशियाई कम्यून का उद्देश्य समान, शांति और समृद्ध, वर्गविहीन समाज  है, इसलिए   इन सभी देशों को समाज की बेहतरी के लिए एक साथ आना होगा ।

याकूब मोहम्मद

महासचिव,

दक्षिण एशियाई जमीनी स्तर विकास मंच

भारत-अध्याय,

250  उत्तर आयड़ , उदयपुर, राजस्थान

भारत-313001

मोबाइल +919929826560

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