जी 20 के कई देशों में मीडिया की हालत ख़राब नहीं है बल्कि बहुत ही ख़राब हो चुकी है। मीडिया को कुचला जा रहा है मगर इस पर कहीं चर्चा नहीं। फिर भी व्हाइट हाउस के कारण प्रेस का सवाल चर्चा में आ ही गया। व्हाइट हाउस ने पूरी दुनिया के सामने इसे उजागर कर दिया कि उसके अधिकारियों ने हर तरह से कोशिश की, पूरी कोशिश की कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन की आपसी बातचीत के मौके पर सवाल जवाब पूछने का मौका मिले लेकिन मना कर दिया गया। सरकार के बयान में सब है, मानवाधिकार भी और लोकतंत्र भी, स्वतंत्रता भी है बस प्रेस को कवर करने की स्वतंत्रता नहीं है। लेकिन जो काम G20 नहीं कर सका वो काम द वायर ने 20 मीडिया संस्थानों के संपादकों पूर्व संपादकों से बात कर एक मीडिया-20 का आयोजन कर दिया। M20 ने जी-20 के नेताओं को यह संदेश दिया है कि अगर उनके देशों में मीडिया स्वतंत्र नहीं है, तो वे जिन समस्याओं को हल ढूंढने की उम्मीद कर रहे हैं, उनमें से किसी का समाधान नहीं किया जा सकता है.।
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