ऐ भगतसिंह तू जिंदा है ऐ भगतसिंह तू जिंदा है ऐ भगतसिंह तू जिंदा है, हर एक लहू के कतरे में….

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है, 

हर एक लहू के कतरे में….  

हर एक लहू के कतरे में, इंकलाब के नारे में …..

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है, हर एक लहू के कतरे में….

तूने तभ भी बोला था यह आज़ादी नहीं यह धोखा है..

यह पूरी मुक्ति नहीं है यारों, यह गोरों के संग सौदा है ……

इस झूटे जश्न की रौनक में, फंसे हुए किसानो में, रोये हुए जवानों में,….

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है………..

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है, हर एक लहू के कतरे में….

इतिहास में भी हम भूखे थे और आज भी ठोकर खाते हैं…

जिस खादी पर रखा भरोसा वो आज भी धोखा देते है…….

कोई रामनाम बलहार पुमारे, आज भी जाने लेते है…..

अब याद है भगता तेरी आती, आग लगी है सीने में….

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है, हर एक लहू के कतरे में….

अंधेरों का ये तख्त हमें ताकत से अब ठुकराना हैं…

हर सांस जहां लेगी उड़ान उस लाल सुबह को लाना है…..

शहीदों की राह पर मर मिटने की क्रांतिकारी उम्मीदों में…

ऐ भगतसिंह तू जिंदा है, हर एक लहू के कतरे में….

By jayantha das

Loading