युद्ध और हथियारों की होड़ का मानवाधिकारों पर घातक असर
डी.एस.पालीवाल
उदयपुर। अमेरिकी महाशक्ति की अर्थव्यवस्था युद्ध और हथियारों की होड़ पर निर्भर है तथा संयुक्त राष्ट्रसंघ साम्राज्यवादियों की कठपुतली बन गया है। ये विचार विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित पी.यू. सी. एल, जास तथा आम नागरिक व जनसंगठनों के साझा मंच की संयुक्त बैठक में उभरे।
आम बैठक में मध्यपूर्व के फिलीस्तीन, लेबनान तथा युद्धरत देशों में मरने वाले आम नागरिक, महिलाओं और बच्चों के मानाधिकार का सवाल उठाया और सभी देशों में उभरते फासीवाद के खतरे की तरफ आगाह किया।
सभा में रमेश नंदवाना ने कहा कि जन विरोधी राजनीति ने इंसान-इंसान में भेद पैदा कर दिये है और घर परिवार तथा समाज में भी मानवाधिकार का हनन जारी है। उन्होंने जननोत्रिक मुल्यों के साथ ही वैज्ञानिक सोच की आवश्यकता बताई।
पी-यू.सी.एल के एडवोकेट अरुण व्यास ने मानवाधिकार दिवस का इतिहास बताया तथा बढ़ती हुई हिंसक संस्कृति के बारे...